ब्लाग जगत मे असांती फैल्ता जा रहा है। और एसा प्रतीत होता है की हम कूछ नही कर सक्ते। पर अगर कोई सोच ले उसे कूछ करना है तो वो कर सक्ता है। कूछ भी नामूंकीन नही है
क्या आपको पता है अगर आप किसी के उप्पर उल्टा सिधा लीखते हैं तो आपको 20-25 लोगो कि टिप्पनीयां तो मील जाएगी पर जरा अपने मात्रु भाषा कि तो सोचीये उसको कितना नूकशान होगा। 70-80 विजीटर भी आ जाऎंगे।
तो क्या आप कूछ चंद टिप्पनीयों के लीये किसी को हटा देंगे, उसे ब्लागिंग छोणने के लिये मजबूर कर देंगे। अगर हां तो आप अपने मात्रु भाषा को मार रहे हैं।
अपने जमिर को खो कर, दूसरो को चोट पहूंचाकर कभी कूछ पाने कि मत सोचो।
वो तूम्हारा भाई या बहन ही है कोई दूशमन नही..
"हिन्दी हैं हम,
हिन्दी वतन है हमारा.."
मै ये कभी नही चाहूंगा कि किसी को दूख पहूंचाकर या चोट दे कर मूझे कोई टिप्पनी दे या वाह-वाही दे।
माफि दे दें मूझे
यदी मेरे वजह से किसी को दूख हूवा है रो वो माफ कर दे मूझे। यदि कहेंगे तो मनाने भी आ जाऊंगा
("तेरा दिल जब भी कोई दूखाएगा याद तूझको मेरा प्यार आएगा.....")
अगर आपने भी किसी को कूछ गलत बोला है तो आप भी माफी मांग लें।
अभीयान है सांती फैलाने का, और कैसे फैलाना है.. हर ब्लागर को सीधा और सरीफ बनाना है।
मस्त प्लान सूझा है ईसे देख लें तो हिन्दीजगत मे सांती कायम हो जाएगा।
क्यो ना बडे ब्लागर ईसके लीये कूछ करें जैसे कोई किसी को अप-शब्द कहता किसी। को बदनाम करने के लीये कोई पोस्ट लीखता है तो बडे ब्लागर उसको वो पोस्ट हटाने का अनूरोध कर सक्ते हैं या उसका ब्रेनवास कर सक्ते हैं(ई-मेल से)
अब बडे ब्लागरो के वाणी मे बहुत दम है और ये सब जानते हैं।अगर ऎसा नही होता तो हम भी कर सक्ते हैं। अगर वो किसी पर किचड उछालता है तो हम उसका एक साथ विरोध कर सक्ते हैं और कह सक्ते हैं कि एसा मत करो।ये गलत है।
जो नही मानते हैं उनसे यही अनूरोध करता हूं कि किसी को चोट मत पहूंचाओ। मेरा ब्लाग ही आपको ये सब करने से रोक सक्ता है तो मेरा ब्लाग ही ले लें।
आप मेरे ईस अभीयान को बढा सक्ते हैं। आखीर हिन्दी के अभीमान और हिन्दी के विकाश की बात है तो आप ईस पोस्ट का कूछ भी करें। चाहे कापी पेस्ट करें या कूछ करें। मै हिन्दी के लीये ईतना तो करूगा ही।
आप हिन्दी के विकाश के लीये क्या कर रहे हैं?
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