Friday, December 11, 2009

एक बुरा सपना आता है जिससे आप भी डरते हैं? पसीने छूट जाते हैं जब वो सपना आता है?

आज निन्द खूलने से पहले एसा लगा की मेरा सांस रूक रहा है और मै जल्दी ही मरने वाला हूं, शरीर हीलाने की कोशीस कर रहा हूं पर कुछ नही हो रहा है और धीरे धीरे एसा लग रहा था की अब सासें रूकने वाली हैं।

अब मूझे लग रहा था की मै रजाई के अंदर हूं और मूझे ईसको कैसे भी हटाना है। मैने अपना सारा दम रजाई को हटाने मे लगा दिया लेकीन मेरा हाथ भी नही हीला।

अब मूझे लगने लगा की अब मै तो रजाई को हटा नही पा रहा हूं, ईसलिये अब चिल्लाने की कोशीस करने लगा लेकीन मूह से आवाज नही निकल पा रही थी।


फिर सपने मे ही सोचने लगा की एसा तो पहले भी हूवा है, ये तो सपना है लेकीन मै आखें भी नही खोल पा रहा था। कुछ देर बाद कम कम सांस लेने लगा और फिर धीरे धीरे पता ही नही चला और कुछ देर बाद कुछ अलग टाईप का सपना आने लगा।



मै १००% गारंटी लेता हूं की एसा आपके साथ भी बहुत बार हूवा होगा। दरअसल सच मे सांस की कमी होने लगती है और हम जब निंद से उठ जाते हैं या वैसे ही फिर सो जाते हैं।


एक अजीबो गरीब मरने वाला सपना आपको भी आता है?

एक बार मै 11 बजे तक सोता ही रह गया क्यों की एक अजीब सा सपना आय था।

क्यों सोता ही रह गया? ये बहुत साल पहले की बात है जब मै स्कुल मे पढता था और उस दिन स्कुल की छूट्टी थी और सपने मे देख रहा था की मै टपक गया हूं :)))(हा.....हा.....) और मन मे आ रहा था की अब तो मर गहा हूं, अब कैसे उठूंगा, और सोता चला गया..................ख्रर्ररररररररररररररर.........ररररर.....रर सोता रहा। मूझे जब कोई जगाने लगा तो भी मन मे आ रहा था की अब जगाने का क्या फायदा......

6 comments :

hem pandey said...

कुन्नू भाई मरने मराने की बात करना बन्द करो. अच्छा सोचो और अच्छी हिन्दी लिखने की कोशिश करो.

कुन्नू सिंह said...

ही...ही...मै तो सपने की बात कर रहा था :))))

हिन्दी मै 2007 से ही सुधार रहा हूं लेकीन कोई फायदा नही हूवा है.......

हिन्दी मे वर्तनी के लिये कई ईमेल,और टिप्पनी भी मिल चूका है.....

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

(मै १००% गारंटी लेता हूं की एसा आपके साथ भी बहुत बार हूवा होगा।)
कुन्नू जब तुमने गारंटी ली है तो ऐसा हुआ ही होगा.

तुम पर खुद से अधिक भरोसा करते हैं.
कि तुम पर ही जीते हैं तुम पर ही मरते हैं.

जियो मेरे लाल मरने की बात क्यों कर रहे हो !
मरें वो जो कुन्नू को नहीं पढ़ते हैं.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

सलीम खान तक सुधर गए पर कुन्नू तो कुत्ते की दुम है. सुना है कि हिंदी-युग्म वाले कोई काढ़ा ला रहे हैं, जिसे पीते ही हिंदी का ज्ञान दो से चार मिनट में हो जाएगा.
एक और खबर है कि अब खंडेलवाल जी (हिंदी ब्लॉग टिप्स वाले) एक विजेट ला रहे हैं, जिसे अपने माथे पर बाँध लो तो महाभारत वाली हिंदी निकलती है.
कुछ तो ट्राई करो कुन्नू.
या ऐसे ही रहोगे जिंदगी भर कुन्नू.

कुन्नू सिंह said...

हा....हा....
आपने सही पकड लिया......

कोई दवा काम नही करेगा

मै तो सपने की बात कर रहा था ना.... एसा सपना तो हर किसी को कभी ना कभी आता ही है....

...
..
.
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:)) हिन्दी सिख भी जाउं तो भी लिखूंगा तो एसे ही.... वर्तनी....

Smart Indian said...

excellent dream!

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